क्यों गरीब है भारत? एजेंडा नए भारत के लिए आज़ादी के 53 साल बाद, 2001 में भारत की आर्थिक दशा पर एक विचारोत्तेजक विश्लेषण में कंवल रेखी ने उन कारणों की सिलसिलेवार समीक्षा की थी कि क्यों है भारत गरीब और अमेरिका अमीर. दरअसल 2001 के बाद से सारी दुनिया के साथ भारत ने तरक्की के कई मुकाम हासिल किए लेकिन इस गहन विश्लेषण में ऐसे कई विचारणीय मुद्दे हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं और पढ़ें [+] | | | | | | उदारवादी साहित्य: टॉम जी पामर इस संग्रह में उदारवादी परंपरा की मानक कृतियां उद्धरण के तौर पर या समग्र रूप में शामिल हैं। यह छोटी निर्देशिका मुख्य पुस्तक की परिशिष्ट है जिसका उद्देश्य उन पाठकों की मदद करना है जो उदारवाद के आधारों, निहितार्थो और आश्वासनों को गहराई से जनने की इच्छा रखते हैं। देखा जाए तो आज उदारवाद नैतिक सिद्धांत, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, इतिहास और अन्य मानव विज्ञानों में मौजूद समस्त बहसों, साथ ही साथ पूरे विश्व में दिख रहे प्रत्यक्ष राजनीतिक संघर्षो का वस्तुत: केन्द्रीय विषय है। यहां पर महत्वपूर्ण बात यह है कि हम इस तरफ न सिर्फ एक समर्थक के नजरिये से, बल्कि एक समालोचक की दृष्टि से भी देखें। और पढ़ें [+] | | | | | | | आज़ादी ब्लॉग: क्यों बचे रहें मंत्रीजी? वक्त से पहले और जरूरत से ज्यादा, जितनी जल्दी हो सके, पा लेने की चाह ने भारत के नागरिकों को उतना ईमानदार नहीं रखा जितना लॉर्ड मैकाले की भारत यात्रा के दौरान वे थे. मैकाले ने अपने देश लौट कर ब्रिटिश संसद में 2 फरवरी 1835 को दिए अपने भाषण में भारतीयों की ईमानदारी की भूरि-भूरि प्रशंसा की थी. सरकारी दफ्तर में काम करवाने वाले लेन-देन की भाषा को न सिर्फ समझ गए हैं बल्कि इसे अपरिहार्य मान कर इसे अपनाने लगे हैं. कोई इस लेन-देन नहीं मानता. कहीं आप रूटीन काम के लिए “फीस” देते हैं तो कहीं मजबूरी में “चाय-पानी”. लेकिन यदि कोई इसके जरिये अपनी “सेटिंग” करना चाहता हैं तो “मिठाई का डिब्बा” “पेटी” या “खोखा” तक देने में ऐतराज नहीं होता, बस किसी तरह अपना काम निकलना चाहिए. और पढ़ें [+] | | | | | | सफलता की एक और पायदान जीविका एशिया लाइवलीहुड डाक्युमेंटरी फेस्टिवल, 2009 अपनी एक खास पहचान रखने वाला सेंटर फॉर सिविल सोसायटी का जीविका एशिया लाइवलीहुड डाक्युमेंटरी फेस्टिवल, 2009 का आयोजन 28-30 अगस्त को नई दिल्ली के इंडिया हैबीटेट सेंटर में किया गया. इस साल 22 देशों के 175 वृत्तचित्रों में से 11 को शार्टलिस्ट किया गया. जिनका प्रदर्शन 28-29 अगस्त को हुआ. फेस्टिवल के अंतिम दिन 30 अगस्त को स्टुडेंट्स और प्रोफेशनल वर्ग के विजेताओं को जीविका ट्राफी और सर्टिफिकेट से नवाजा गया. और पढ़ें [+] | | | | | | नोबेल पुरस्कार विजेता: अमर्त्य सेन व्यक्तिगत कल्याण की तुलनीयता के अपने विश्लेषण के आधार पर, अमर्त्य सेन ने कल्याण, आय असमानता और गरीबी के लिए सूचकों का प्रस्ताव किया है जिनका पहले ही व्यापक प्रयोग किया जा रहा है। कुछ युक्तिसंगत सूक्तियों से इन सूचकों की उत्पति करके सेन ने भिन्नता वाले सामाजिक राज्यों का मूल्यांकन आसान बना दिया है-यदि सूचक के पीछे सूक्ति यथोचित प्रतीत होती है तो सूचक के अनुसार वर्गीकरण भी उचित होगा। अपने अत्यन्त उग्र रूप में गरीबी भूख की ओर ले जाती है जिसपर अमर्त्य सेन ने अकाल की उत्पति के व्यापक अध्ययनों में चर्चा की है। इन अध्ययनों में, सामान्य पूर्वधारणाओं में कि अकाल सदा खाद्यान्न की सप्लाई में कमी से सम्बध्द होते हैं, सुधार करते हुए उसने अकाल और भुखमरी के नये विचार का मार्ग प्रशस्त किया। अधिक पढने के लिये प्रस्तुति व्याख्यान एवं पुरस्कार व्याख्यान डाउनलोड करें। | | | | | | आज़ादी.मी पर स्वामीनाथन अय्यर
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